प्रशासनिक आदेशों की धज्जियां उड़ाने पर प्रहार -बनगवां नगर परिषद में अंधेर नगरी-चौपट राजा के तर्ज पर हों रहा कार्य
संयुक्त संचालक के रोक के आदेश भी बेअसर बेखौफ जारी है विवादित भवन का निर्माण
इंट्रो-नगर परिषद बनगवां में नियमों की धज्जियां उड़ाने और वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। शहडोल संभाग के संयुक्त संचालक (नगरीय प्रशासन) ने पार्षद और क्षेत्रीय निवासियों की शिकायत पर नवीन कार्यालय भवन के निर्माण को तत्काल प्रभाव से रोकने का लिखित आदेश (क्र./2076) जारी किया है, लेकिन धरातल पर स्थिति इसके उलट है। प्रशासनिक आदेशों को रद्दी की टोकरी में डालते हुए निर्माण कार्य न केवल चालू है बल्कि उसे युद्ध स्तर पर पूरा करने की कोशिश की जा रही है। हैरानी की बात यह है कि यह निर्माण उस संवेदनशील क्षेत्र में हो रहा है जिसके 'गोफ एरिया' (धसकने वाली जमीन) होने की आशंका जताई गई है फिर भी जिम्मेदार अधिकारी इसे रोकने के बजाय मूकदर्शक बने हुए हैं।
प्रकाश सिंह परिहार कि कलम से
अनूपपुर /राजनगर- अनूपपुर जिले के नगर परिषद बनगवां में नियमों और वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों को ठेंगे पर रखा जा रहा है। संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास शहडोल ने पत्र (क्र./2076) जारी कर नवीन कार्यालय भवन के निर्माण को रोकने के निर्देश दिए थे लेकिन धरातल पर काम युद्ध स्तर पर जारी है। भाजपा पार्षद की शिकायत और कैबिनेट मंत्री दिलीप जायसवाल के हस्तक्षेप के बाद भी काम न रुकना परिषद की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आखिर किसके रसूख के आगे संयुक्त संचालक का आदेश बौना साबित हो रहा है...? क्या प्रशासन को किसी बड़ी अनहोनी या यह जारी सरकारी राशि का दुरुपयोग का इंतजार है?
मौत के मुहाने पर बनगवां परिषद का नया ठिकाना
गोफ एरिया की आशंका के बावजूद अधिकारियों ने नहीं थामी निर्माण की रफ्तार क्या बनगवां का नया परिषद भवन किसी बड़े हादसे की नींव पर खड़ा हो रहा है? संयुक्त संचालक कार्यालय ने स्पष्ट पूछा है कि जिस जगह निर्माण हो रहा है, क्या वह SECL का गोफ एरिया (धसकने वाली जमीन) है? क्या वहा का SBC टेस्ट हुआ है? इन तकनीकी और सुरक्षात्मक सवालों का जवाब देने के बजाय परिषद प्रबंधन ने निर्माण कार्य चालू रखा है। संयुक्त संचालक द्वारा कार्य रोकने के स्पष्ट आदेश के बावजूद मशीनें गरज रही हैं और ईंटें जुड़ रही हैं। यदि भविष्य में जमीन धसकती है या स्ट्रक्चर फेल होता है तो क्या इसकी जिम्मेदारी सीएमओ लेंगे? नियमों को दरकिनार कर किया जा रहा यह निर्माण सीधे तौर पर सरकारी धन की बर्बादी और जान से खिलवाड़ है।
मंत्री के निर्देश और जमीनी हकीकत में विरोधाभास मंत्री के निर्देशों की खुली अवहेलना
राजनगर के केंद्र बिंदु की मांग को कुचलकर विवादित स्थल पर ही डटे जिम्मेदार राजनगर की जनता और पार्षद की मांग थी कि नगर परिषद का भवन शहर के बीचों-बीच बने जिस पर कैबिनेट मंत्री दिलीप जायसवाल ने संज्ञान लेते हुए कार्यवाही के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में नगरी प्रशासन एवं विकास शहडोल संभाग से निर्माण रोकने का फरमान जारी हुआ लेकिन बनगवां परिषद के अधिकारियों के इरादे कुछ और ही नजर आते हैं। शिकायत का निराकरण तो दूर, विभाग को बिंदुवार जानकारी दिए बिना ही काम को बदस्तूर जारी रखा गया है। यह न केवल प्रशासनिक आदेश की अवेलना है बल्कि जनता की भावनाओं और क्षेत्रीय मंत्री के निर्देशों को भी खुली चुनौती है। आखिर वह कौन सी मजबूरी या कमीशन का खेल है जिसके चलते रोक के बावजूद काम को बंद नहीं किया जा रहा!
खड़े हों रहा सवाल-जनचर्चा का बना विषय
नगर परिषद बनगवा का निर्माण भवन जो आदेश के बाद भी ठेकेदार द्वारा बड़ी तेजी से कार्य लगाकर किया जा रहा है उसमें यह सवाल खड़ा होता है कि भवन कि जब जांच लंबित हैतो काम की इतनी जल्दी क्यों...? सोचनीय विषय यह है कि क्या SECL की एनओसी न मिलने के डर से रातों-रात ढांचा खड़ा करने की योजना है....?अब बात यह खड़ी हो रही है कि क्या अनूपपुर जिला प्रशासन अपने ही विभाग के आदेशों का पालन करवा पाएगा?
कलेक्टर के पाले में अब गेंद
एक तरफ कैबिनेट मंत्री के निर्देश हैं दूसरी तरफ संयुक्त संचालक का लिखित आदेश। इसके बावजूद काम का जारी रहना यह संकेत देता है कि परिषद में सिस्टम से ऊपर कोई शक्ति काम कर रही है। अब देखना यह है कि अनूपपुर कलेक्टर इस प्रशासनिक अनुशासनहीनता पर क्या एक्शन लेते हैं। सबकी नजर अब संवेदनशील कलेक्टर के ऊपर टिकी हुई है !



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