जनहित कि खबर -करोड़ों की लागत से बने कपिलधारा रेल्वे ओवरब्रिज पर बड़ा खतरा -लोकार्पण के कुछ ही दिनों में पड़े दरारें
घने अंधेरे के साय में आवागमन करने को मजबूर जनता - आए दिन दुर्घटनाओं के मामले आ रहे सामने
झांझरिया कंपनी और रेलवे विभाग की कार्यप्रणाली पर खड़े हों रहे गंभीर सवाल....?
इंट्रो- करोड़ों रुपए की लागत से नव-निर्मित ओवरब्रिज गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर सवालों के घेरे में आ गया है। लोकार्पण के कुछ ही दिनों बाद ओवरब्रिज के कई हिस्सों में गंभीर दरारें दिखाई पड़ने लगी हैं, जिससे इसके निर्माण में भारी अनियमितता का अंदेशा है।इससे भी चिंताजनक बात यह है कि ओवरब्रिज पर अब तक स्ट्रीट लाइटें नहीं लगाई गई हैं। शाम ढलते ही यह महत्वपूर्ण मार्ग पूरी तरह से अंधेरे में डूब जाता है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में गुजरने वाली जनता इस घने अंधेरे में दुर्घटना का शिकार होने को मजबूर है जल्द ही लाइटिंग की व्यवस्था नहीं की गई तो कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है।
प्रकाश सिंह परिहार की कलम से
अनूपपुर/बिजुरी - करोड़ों रुपए की लागत से बने कपिलधारा रेलवे ओवर ब्रिज पर पड़े दरार निर्माण एजेंसी झांझरिया कंपनी पर सवाल खड़ा कर दिया है इस ओवरब्रिज का निर्माण कार्य झांझरिया कंपनी द्वारा किया गया था। स्थानीय व्यक्तियों के अनुसार निर्माण में कथित तौर पर फ्लाइ ऐश का अत्यधिक उपयोग किया गया था जिसकी गुणवत्ता अब दरारों के रूप में सामने आ रही है। साथ निर्माण के समय पर्याप्त सिचाई व गुणवत्ता विहीन मटेरियल के कारण भी दरारे आने की संभावना है रोजाना हजारों लोगों का आवागमन इस ओवर ब्रिज से होता है सुरक्षा को देखते हुए रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा निरीक्षण व जांच कर कार्यवाही की जाए जिससे कोई बड़ी घटना ना हो सके!
गुणवत्ताविहीन मटेरियल का उपयोग
स्थानीय नागरिकों व आमागमन करने वाले लोगों काआरोप है कि निर्माण एजेंसी झांझरिया कंपनी ने लागत कम करने के लिए निर्धारित मानकों की अनदेखी की और घटिया सामग्री का उपयोग किया। लोगों का यह भी कहना है कि नदी की जगह नाले के रेत का उपयोग कर घटिया किस्म के रेत के कारण भी दरार पढ़ने की संभावना है हालाकि यह विषय रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों और इंजीनियर को मौके पर निरीक्षण कर गुणवत्ता की जांच करवाकर ओवर ब्रिज को चालू किया जाए यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो दुर्घटनाएं होने की आशंका बनी रहेगी उस स्थिति में आखिर जिम्मेदार कौन होगा!
रेलवे प्रशासन व इंजीनियरिंग की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह........?
ओवरब्रिज चालू होते ही इतनी जल्दी दरारें पड़ना कही न कही साफ दर्शाता है कि निर्माण के दौरान इंजीनियरिंग और गुणवत्ता नियंत्रण में घोर लापरवाही बरती गई है।रेलवे विभाग और इंजीनियर भी कटघरे में इस निर्माण की निगरानी की जिम्मेदारी रेलवे विभाग और इसके नियुक्त इंजीनियरों की थी। फिर भी महीने भर के अंदर लगभग ब्रिज का 2 से 3 इंच नीचे बैठना और दरारे पढ़ना रेल प्रशासन व इंजीनियर की कर प्रणाली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा होता दिखाई दे रहा है अब देखना यह है कि इस मामले को रेलवे प्रशासन कितनी गंभीरता से लेता है!
खड़े हो रहे सवाल - बनते ही पडने लगे बड़े दरार
महीने भर बीतने के बाद जिस तरह ओवर ब्रिज में बड़ी-बड़ी दरारे बने लगी उसे यह सवाल खड़ा हो रहा है कि गुणवत्ता जांच में भारी चूक की गई जब निर्माण हो रहा था तब रेलवे के इंजीनियरों ने किस आधार पर सामग्री और कार्य की गुणवत्ता को पास किया साथ ही निर्माण एजेंसी को लापरवाही की छूट इंजीनियरों ने निर्धारित मानकों से समझौता करने की खुली छूट दी गई...? यह सवाल स्थानीय लोगों द्वारा मीडिया के माध्यम से रेलवे प्रशासन से करते नजर आ रही है जिस तरह निर्माण एजेंसी झांझरिया कंपनी द्वारा आम जीवन व कपिलधारा ओवर ब्रिज से आवागमन करने वाले लोगों के साथ छल किया गया और गुणवत्ता विहीन मटेरियल का इस्तेमाल किया गया जिसका परिणाम ओवर ब्रिज के ऊपर बने बड़े-बड़े दरार चीख-चीख कर प्रशासन के ऊपर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है!
अंधेरे में आवागमन करने में मजबूर जनता- सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह
ओवरब्रिज पर लाइट न लगना सीधे तौर पर रेलवे विभाग और संबंधित अधिकारियों की घोर लापरवाही को दर्शाता है लाइट लगाए बिना ही जिस प्रकार अंधेरे के साए में आवागमन करने के लिए ब्रिज को चालू कर आम आदमी के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है जो सुरक्षा की दृष्टि से घोर लापरवाही को प्रदर्शित करता है लाइट न लगने से आए दिन दुर्घटनाएं भी सामने आ रही है!
जांच व कार्यवाही की उठ रही मांग
जिस प्रकार निर्माण एजेंसी द्वारा करोड़ों की लागत से बने ओवर ब्रिज के साथ खेल किया गया है और जनता की सुरक्षा को ताक पर रख दिया है जनता मांग कर रही है कि रेलवे विभाग संबंधित इंजीनियरों और झांझरिया कंपनी के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाए। इस घटिया निर्माण के कारण जनता के पैसों की बर्बादी हुई है और अब उनकी जान भी खतरे में है।
जनता की प्रक्रिया-
यह करोड़ों की परियोजना है और इसका भरोसेमंद होना जरूरी है। लोग रोज़ इस ब्रिज से गुजरते हैं, उनकी जान-माल की सुरक्षा सर्वोपरि है। लाइटें न लगने और दरारों जैसी समस्याएँ गंभीर हैं। इस मामले को हमने पत्र के माध्यम से उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया है लेकिन निराकरण नहीं हुआ है जो की जिम्मेदार अधिकारियो के ऊपर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है!
दीपक शर्मा -समाजसेवी एवं विधायक प्रतिनिधि
ब्रिज पर पड़ी दरारें देखकर मन में डर बैठ गया है। करोड़ों रुपय खर्च हुए, लेकिन माह भर भी टिकाऊ नहीं रहा और लाइट की व्यवस्था भी नहीं किया गया जिससे रात मे आने जाने मे डर लगता है जान जोखिम में लगती है। रेलवे प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए!
अनिल पाशी-स्थानीय व्यापारी
यह सिर्फ़ निर्माण की नहीं पारदर्शिता और जवाबदेही की भी बात है। जब ब्रिज पर भारी दरारें दिख रही हैं तो संबंधित विभागों का भी जवाबदेह होना चाहिए लाइट की भी व्यवस्था नहीं की गई है हमारे द्वारा रेलवे की जिम्मेदार अधिकारियों को पत्र के माध्यम से अवगत कराया था लेकिन अब तक कोई निराकरण नहीं हुआ जो विभागीय अधिकारियों के अनदेखी का शिकार आम जनता हो रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है हमारे लिए जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है।
रविन्द्र शर्मा उर्फ़ रिंकू, सामाजिक कार्यकर्ता मंडल अध्यक्ष भाजपा
ओवरब्रिज पर दिखाई दे रही दरारें चिंताजनक हैं। यह मामला सीधे जनता की सुरक्षा से जुड़ा है। मै संबंधित विभागों से तत्काल निरीक्षण और तकनीकी जांच कराने की मांग करती हूँ यदि कहीं भी निर्माण मानकों में कमी पाई जाती है तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई अनिवार्य है।
गुंजन साहू - पार्षद वार्ड क्र.-09
नए ब्रिज पर इतनी जल्दी दरारें पड़ना समझ से परे है मैं रोजाना स्कूल के बच्चों को लाने ले जाने का कार्य करता हूं मुझे डर बना रहता है की बच्चों के साथ कोई घटना न हों जाये निर्माण के समय लोगों ने कई बार मटेरियल को लेकर सवाल उठाए थे। अब वही बातें सच होती दिख रही हैं। पूरे काम की जांच जरूरी है।
सीताराम- वैन चालक
अगर अभी ही दरारें दिखने लगीं तो आगे क्या होगा...? हजारों लोग इस पर चलते हैं। ब्रिज की मजबूती पर भरोसा नहीं रह गया। रेलवे विभाग को निरीक्षण कर असल स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
देवेंद्र चौधरी- स्थानीय निवासी
यह सिर्फ़ निर्माण की नहीं पारदर्शिता और जवाबदेही की भी बात है। जब ब्रिज पर भारी दरारें दिख रही हैं और लाइट की सुविधा उपलब्ध नहीं है जनता अंधरे मे आवागमन करने को मजबूर है आये दिन दुर्घटनाये भी हों रही है तो संबंधित विभागों का भी जवाबदेह होना चाहिए। जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है।
मधू सिंह- सामाजिक कार्यकरता
हम रोज़ इस ब्रिज से गुजरते हैं। रात के समय अंधेरा इतना घना होता है कि स्कूटी व पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है साथ ही बनते ही ब्रिज में दरार आना बड़ी दुर्घटना का अंदेशा देते दिखाई दे रहा है इसमें रेलवे प्रशासन को जल्द कठोर कदम उठाना चाहिए प्रशासन को पहले सुरक्षा व्यवस्था पक्की करनी चहिए थी बाद में ब्रिज चालू किया जाता।विमला पटेल-पार्षद वार्ड क्र.-7
इनका कहना है
पहले रिटेनिंग वॉल बनेगी और फिर उसके बाद रोड बनेगी लेकिन रिटेनिंग वॉल और रोड का कोई कनेक्शन नहीं रहता है वह किनारे में दबा हुआ दिखाई देगा इसके बाद जब हम डामरीकरण करेंगे तब वह समस्या खत्म हो जाएगी और बिजली विभाग के लिए एक नंबर भेज देता हूं उससे बात कर लीजिए इलेक्ट्रिकल वाले साहब का, लाइट का इस्टीमेट दे चुके हैँ। अभी हमने डामरीकरण का कार्य मनेद्रगढ़ में भी कराया है पहले रोड बना देते हैं फिर डामरीकरण का कार्य करते हैं जिससे बैठने उठने का हिसाब किताब क्लियर हो जाता है!
साकेत गुप्ता -इंजिनियर रेलवे
लाइट को लेकर दो पोल लगाए गए हैं फिर भी उजाला नहीं हो पा रहा है हमारे द्वारा एस्टीमेट बनाकर टेंडर के लिए भेज दिया गया है लगभग 1 महीने मे लाइट लग जाएगी!
अनिल कुमार-इलेक्ट्रिक इंजीनियर रेलवे








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