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Friday, June 4, 2021

सोन नदी में के.जी डेवलपर्स तो केवई में शहडोल का भगवाधारी राहुल का तांडव..नियमविरुद्ध उत्खनन जारी

 


ठेका कंपनी के संरक्षण में माफिया कर रहे सोन और केवई का सीना छलनी,  निर्देशों को बता रहे धता...


सोन नदी में  के.जी डेवलपर्स तो केवई में शहडोल का भगवाधारी राहुल का तांडव..नियमविरुद्ध उत्खनन जारी



माइनिंग विभाग के नाक के नीचे ठेका कंपनी द्वारा किया जा रहा उत्खनन,माइनिंग विभाग बनी मूकदर्शक


इन्ट्रो:- प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चैहान अपने आप में होगे मुख्यमंत्री लेकिन उनके निर्देशों और चलाये जा रहे अभियान से अनूपपुर जिले का कोई लेना देना नही है। यह हम नही कहते, कहते है सोन के किनारे बसे गाव के वाशिंदे। ठेका कंपनी के संरक्षण में माफिया ना सिर्फ सोन के भौगोलिक स्वरुप के साथ छेड़छाड़ कर रहे है अपितु  एनजीटी के निर्देशों को साफतौर पर धता बताते हुये वैध खनन के नाम पर अवैध खनन को अंजाम दे रहे है। और जिले के जिम्मेदार अधिकारी माइनिंग विभाग को अवैध उत्खनन दिखाई ही नहीं दे रहा है या फिर बात यह खड़ी हो रही की माइनिंग विभाग के सह पर उत्खनन कराया जा रहा है।


अनूपपुर:-प्रदेश के मुखिया सीएम शिवराज सिंह चैाहान द्वारा प्रदेश भर में माफियामुक्त अभियान चलाते हुये माफियाओं पर कार्यवाही के निर्देश जारी किये। पर यह अभियान मानो अनूपपुर में औंधे मुह गिर गया क्योकि लगातार शिकायतें मिलने के बाद भी ठेका कंपनी के.जी. डेवलपर्स पर प्रशासन की महरबानी और संरक्षण तो ठेका कंपनी का माफियाओं को संरक्षण मिले होने से यह कहा जा सकता है कि जिला प्रशासन का अप्रत्यक्ष संरक्षण प्रत्यक्ष रुप से माफियाओं को मिला हुया है। हालाकि बीते दिनों मरता क्या न करता एक कार्यवाही तो की गई थी लेकिन आज भी जिला दंडाधिकारी के यहां कार्यवाही के लिए दबी पड़ी हुई है तो जिले वासियों ने उसे भी दबी जुबान में कोरम पूर्ती का नाम दे डाला।


औधे मुह गिरा माफियामुक्त अभियान......

सूत्रों की माने तो माफियामुक्त अभियान के औधे मुह गिरने की जानकारी प्रदेश के सीएम को भी है जिसकी वजह से कान्फ्रेन्स में माननीय पूर्व कलेक्टर साहब को खरी-खोटी  सुननी पड़ी पर खनिज माफियाओं पर कार्यवाही की गाज न गिरने को लेकर साहब से ज्यादा साहब के कारिंदे निरीक्षक राहुल जिम्मेदार है। हालाकि निरीक्षक और अधिकारी की अनबन जिले में किसी से छिपी नही है। क्योकि हर कोई पाक साफ बन सुनहरी कथरी ओढ़ कर घी खाना चाह रहा है लेकिन इसका खामियाजा साहब को भुगतना पड़ रहा है। हालाकि खरी-खोटी की वास्तविक पुष्टि नही हुई है लेकिन दीवारों के भी कान होते है ऐसी कहावत चरितार्थ जरुर हुई। लेकिन सीएम के सपने को चकनाचूर कर कार्यवाही का मजीरा पीटना कहा तक सही है इसका जवाब तो समय की गर्त में छिपा हुआ है शायद इस जवाब को निकालने के लिए भी पोकलेन की जरुरत ही पडे़गी।


ठेके पर दिया ठेका......

जिले के अंतिम छोर कोतमा तहसील अंतर्गत ठेका कंपनी के जी डेवलपर्स ने रेत खनन परिवहन उत्खनन की जिम्मेदारी आफ़ द रिकॉर्ड एग्रीमेंट के बेस से शहडोल के रसूखदार खादी का संरक्षण प्राप्त यूवको को दे दिया गया है, ठेके की तर्ज पर रसूख का फायदा उठाते हुए केजी डेवलपर्स से एक कदम आगे बढ़कर पेटी कांट्रेक्टर राहुल और उसके साथियों द्वारा परिवहन  उत्खनन और भंडारण कराया जा रहा है, साथ ही कोतमा का खनिज माफिया भी रेत खदान में अवैध उत्खनन में संलिप्त है इतना ही नहीं कथित युवकों द्वारा पंजीबद्ध अपराधियों के द्वारा पेट्रोलिंग कराते हुए ग्रामीणों से गुंडागर्दी की चर्चा भी क्षेत्र में गर्म है।


एनजीटी के निर्देशो को बता रहे धता......



बात चाहे जिले के विभाग के बड़े साहब की या फिर वसूली के लिए चर्चित छोटे साहब की हो दीपक तले अंधेरे की तर्ज पर कथित अधिकारियों के नाक के नीचे ही मानपुर ,चचाई,बकही एवं सीतापुर में एनजीटी द्वारा जारी निर्देशों को धता बताते हुये ना सिर्फ सोन का सीना चीर कर पानी के भीतर से पोकलेन लगाकर रेत निकाली जा रही है। वहीं दूसरी ओर कोतमा तहसील अंतर्गत कटकोना गुल्लीडाँड़ में भी लीज एरिया से हटकर भारी वाहनों को रात के अँधेरे में उत्खनन का कार्य किया जा रहा है जिसमें ठेकेदार द्वारा भगवाधारी राहुल को पेटी में ठेका देकर केवई का सीना छलनी के लिए छोड़ रखा है बाकी बात यह भी खड़ी हो रही है कि रेत ठेकेदार द्वारा किसी भी व्यक्ति को पेटी कांटेक्ट में ठेका नहीं दे सकता है इसकी शिकायत भी सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से की जा चुकी है फिर भी कार्यवाही के नाम पर कोरम पूर्ति ही खनिज विभाग दिखा रही है अपितु परिवहन हेतु भौगोलिक स्वरुप के साथ छेड़छाड़ कर धारा प्रवाह रोकते हुये अस्थाई पुल का निर्माण भी किया गया है। लेकिन कार्यवाही को लेकर जिम्मेदार अपने जिम्मेदारियों को भूलकर कार्यवाही का ठीकरा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एंव माईनिंग कार्पोरेशन के सर फोड़ रहे है। मालुम पड़ता है की जिम्मेदारों को इस बात का इंतजार है की जब कोई पर्यावरण प्रेमी वीडियों साक्क्ष लेकर एनजीटी का दरवाजा खटखटायेगा तब जिम्मेदारों की नींद टूटेगी। वही उदासीन रवैये को देखकर प्रतीत होता है की यह कदम भी हमारी टीम को ही उठाना पडे़गा।


ठेका कंपनी के प्रति वफादार: जिम्मेदार

जब-जब अवैध खनन, परिवहन, नदी के भौगोलिक स्वरुप से छेड़छाड़, एनजीटी के निर्देशों को दरकिनार कर खनन, खनन को लेकर शिकायतें, रेत घाट पर माफिया आंतक जैसे मुद्दों पर जानकारी देने अथवा कथन लेने खनिज विभाग के अधिकारियों से दूरभाष में संपर्क साधा जाता है तो प्रतीत होता है की संवेदनशीलता को ठेका कंपनी द्वारा सोन नदी में बनाये गये विशालकाय खाईयों की गर्त के हवाले कर ठेका कंपनी के प्रति वफादारी निभाते हुये जिम्मेदारों ने फोन न उठाने की कसम खा रखी है। फिर चाहे वर्षो से पदस्थ खनिज निरीक्षक राहुल संाडिल्य की हो या वरिष्ठ अधिकारी माइनिंग अधिकारी पी.पी राय की हो।

(इस संबंध में कथन हेतु दूरभाष से खनिज अधिकारी पी.पी. राय से संपर्क साधने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होने फोन उठाना ही वाजिफ नही समझा।)




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