समाजसेवी बनने की होड़ में मजबूरों को दिखाया जा रहा नीचा
लॉक डाउन की तस्वीरों के सहारे चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश
शहडोल/धनपुरी:- नगर में इन दिनों चुनावी बयार बह रही है, खुद को सबसे बड़ा समाजसेवी और जनता का हितैषी साबित करने के लिए कोरोना संक्रमण के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में गरीब और असहायो की मदद नगर के हर जिम्मेदार व्यक्ति के द्वारा की गई थी। अपनी अपनी क्षमता के अनुसार सभी ने अपने मोहल्ले और नगर के जरूरतमंदों की मदद की थी। लॉकडाउन में असहयोग के द्वारा ली गई मदद अब उनकी प्रतिष्ठा को खतरे में डालने लगी है जिसके पीछे की वजह है कि तब तथाकथित समाजसेवियों ने मदद तो की लेकिन तस्वीरें भी खींची जिसका उपयोग अब मतदाताओं को रिझाने के लिए किया जा रहा है। वहीं जिन की मदद की गई थी उन पर भी एहसान लादा जा रहा है। यह पूरा खेल नगर के सिर्फ 1 वार्ड में चल रहा है वार्ड क्रमांक 17 में बीते 1 सप्ताह से एक प्रत्याशी के द्वारा स्वयं को नगर का सबसे बड़ा समाजसेवी साबित करने के लिए न सिर्फ धनबल का उपयोग किया जा रहा है बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से निरीह और निर्धन लोगों की तस्वीर भी सार्वजनिक की जा रही है। इस वार्ड की अधिकांश जनता अब यह सवाल करने लगी है कि यदि आप समाज सेवी थे तो तस्वीरें क्यों ली गई और अगर तस्वीरें ली गई तो अब उन्हें सार्वजनिक क्यों किया जा रहा है। जनता का सवाल यह भी है कि जिनसे अभी मिलने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है उनके चुनाव जीतने के बाद समय और धन भी अधिक खर्च करना पड़ेगा। स्वयं को संजीवनी लाने वाले का अवतार बतलाते हुए वार्ड से 5 किलोमीटर की दूरी पर निवास करने वाले तथाकथित समाजसेवी से मिलने के लिए निरीह जनता को आवागमन के लिए किराया कहां से मिलेगा यह सवाल भी यक्ष प्रश्न की भांति खड़ा है।
ओछी राजनीति पर उतारू
इस तथाकथित समाजसेवी के द्वारा अपने ही प्रतिद्वंदी के विरुद्ध ओछी राजनीति शुरू कर दी गई है, प्रतिद्वंदी का बढ़ता कद और उसकी लोकप्रियता को देखते हुए परिवार के लोगों पर ही निशाना साधा जा रहा है। गंगा जमुनी तहजीब वाले इस वार्ड का माहौल बिगाड़ने के लिए सोशल मीडिया और दूसरे साधनों का सहारा लिया जा रहा है। कोयले की कालिख में डूबे होने के बाद भी भोले भाले मतदाताओं को रिझाने के लिए प्रतिद्वंदी प्रत्याशी पर कीचड़ उछाला जा रहा है। बीते दो दशक में इस वार्ड में दुख और सुख के अनेकों अवसर आए जहां खुशियां बांटने और दुख में सहारा देने के लिए लोगों की आवश्यकता थी तब तथाकथित समाजसेवी एसी कमरे में बैठे हुए थे आज जब चुनाव सामने आया तो उन्हें अपने समाजसेवी होने का एहसास हुआ और उतर पड़े मैदान में।
लालच इतनी कि सब परेशान
नगर में उपलब्धियों के नाम पर गिने-चुने शासकीय कार्यालय ही संचालित है इनमें से सबसे महत्वपूर्ण था बड़ौदा बैंक, वृद्धावस्था पेंशन, कल्याणी पेंशन, निराश्रित पेंशन जैसी राशि के लिए लोग पैदल ही बड़ौदा बैंक तक पहुंच जाते थे। वहीं दूसरी तरफ यह हुआ कि तथाकथित समाजसेवी ने आलीशान भवन खड़ा कराया और उसे किराए पर देने के लिए बैंक का ही स्थानांतरण करा दिया अब 500 रुपए लेने के लिए 30 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। चक्कर और दूरी बढ़ने से हर वह व्यक्ति परेशान है जिसकी मदद तथाकथित समाजसेवी में लॉकडाउन के दौरान की थी। सवाल आपका है क्योंकि अगले 5 साल भी आपके हैं, वोट डालने से पहले एक बार जरूर सोचिएगा जिसने राशन बांटकर आपकी गरीबी का मजाक उड़ाया है क्या वह राशन कार्ड बनवाकर आपकी मदद करेगा!
No comments:
Post a Comment