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Tuesday, May 23, 2023

शिवराज के माफिया मुक्त अभियान को ठेंगा दिखा रहा बुढार का अवैध कबाड कारोबार का सरगना बड्डे

 


शिवराज के माफिया मुक्त अभियान को ठेंगा दिखा रहा बुढार का अवैध कबाड कारोबार का सरगना बड्डे



संभाग स्तरीय अवैध कबाड़ का हब बना बुढार, उच्च मैनेजमेंट का धौंस दिखाकर धड़ल्ले से अवैध कबाड़ के कारोबार को अंजाम

संभाग से लेकर राजधानी तक मैनेजमेंट का दम भर, अवैध कबाड़ कारोबार को अंजाम दे रहा बुढार का माफिया

इंट्रोः- कहने को तो जिले में कबाड़ पर कई कार्यवाही हुई है लेकिन कबाड़ का अवैध कारोबार बदस्तूर बड़े पैमाने पर जारी है आलम यह है कि बुढ़ार इन दिनों कबाड़ का हब बन चुका है जहां बड़े पैमाने पर कारोबार संचालित है, गौरतलब है कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गोस्वामी के कार्यकाल में बुढार जो कि पूर्व में भी कबाड़ का हब रहा पर कबाड़ कारोबार में लगभग पूर्ण विराम  लगा था, हाल ही में कबाड़ माफिया अनीश पर जिला बदर की कार्यवाही हुई लेकिन शेष कबाड़ माफियाओं को मानो अभयदान मिल गया हो और पूर्व से 4 गुने रफ्तार में वर्तमान में बुढार में कबाड़ कारोबार हो रहा है जहां सभी प्रकार के शासकीय मानकों को  धता बताकर कारोबार किया जा रहा है।

शहडोलः- जिले के कोयलांचल क्षेत्र का बुढार, धनपुरी, अमलाई इन दिनों कबाड़ कारोबार का हब बन चुका है, जहां धड़ल्ले से कबाड़ सरगना द्वारा कबाड़ के नाम पर चोरी की वारदातों को ना सिर्फ गुर्गों के माध्यम से अंजाम दिलाया जा रहा है अपितु बड़े पैमाने पर चोरी का माल प्लास्टिक और पुट्ठो में के नीचे दबा कर रायपुर भी भेजा जा रहा है, आलम यह है कि इन पर लगाम कसने में बेचारे थाना प्रभारी बेबस नजर आ रहे हैं, और कथित माफिया भोपाल और मुख्यालय सेटिंग का गाना गुनगुना रहे हैं। हालांकि यह छुटपुट माफिया सिर्फ आन द रिकार्ड गुर्गे ही है, पर्दे के पीछे इन गुर्गों का राजा कोई और ही है। कम शब्दों में कहें तो पर्दे के पीछे से गुर्गों के माध्यम से इन गुर्गों  का राजा मोनोपली बना कर कबाड़ के इस अवैध कारोबार का सरगना बन बैठा है। कहने को तो जिले में कबाड़ का कारोबार अनीश के जिला बदर के बाद थम सा गया है लेकिन बात अगर जमीनी हकीकत की करें तो प्रतीत होता है कि संयंत्र के तहत अनीश को रास्ते से हटाकर 4 गुने रफ्तार से अवैध कबाड़ कारोबार को अंजाम दिया जा रहा है।

अनीश के जिला बदल के बाद मुख्य सरगना बना बड्डे

बात अगर अब से 6 महीने पूर्व की करें तो शहडोल जिला मुख्यालय सहित जिले भर में अलग-अलग छुटपुट कबाड़ी थे, जो छोटे-मोटे कबाड़ के साथ थोड़ा बहुत चोरी का माल खरीदी बिक्री का काम करते हुए डायरेक्ट अपने माल की सप्लाई जबलपुर किया करते थे, लेकिन अचानक से कथित माफिया जोड़ी ने जिला मुख्यालय में एक फतवा लागू किया कि जिसको भी कबाड़ का काम करना है तो माल अनीस अथवा उसके सहयोगी को ही देना पड़ेगा नहीं तो कारोबार तो बंद होगा ही जिला बदर और रासुका जैसी कार्यवाही भी की जाएगी, इसी तारतम्य में कई छोटे कबाड़ कारोबारियों को 379 के तहत पीली कोठी का सफर भी कराया गया। कुछ बेचारे शिकायत लेकर आलाकमान के पास भी पहुंचे पर कहते हैं ना कि सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का ... और अंततः जिले भर के कबाड़ कारोबारियों ने कथित माफिया के आगे अपने घुटने टेक दिए और कल तक फेरी वालों से कबाड़ खरीद कर जबलपुर भेजने वाले कबाड़ कारोबारी मजबूरी में एफआईआर,जिला बदर एवं अन्य कार्यवाही से बचने के लिए ₹41 किलो का माल ₹31 किलो में कथित माफिया बंधुओं को देने को मजबूर हैं।

आखिर कबाड़ माफिया बड्डे पर कार्यवाही कब...?

अगर जिला माफिया मुक्त अभियान की तर्ज पर काम कर रहा है और अवैध कबाड़ कारोबार पर अंकुश लगाने की तैयारी है तो सिर्फ जिला बदर की श्रेणी में अनीश को ही क्यों शामिल किया गया है, बुढार के कथित माफिया के ऊपर भारी मात्रा में शराब तस्करी सहित कबाड़ के अन्य मामले दर्ज हैं, फिर भी बदस्तूर चाचा भतीजा कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। निश्चित तौर पर शहडोल पुलिस द्वारा बड़े पैमाने पर कार्यवाही या कबाड़ कारोबारियों पर की गई है लेकिन अब यही कार्यवाही या यह दिखाती हुई प्रतीत हो रही है क्या किसी एक माफिया के इशारे पर सारे कबाड़ कारोबारियों को एक ही झंडे के नीचे लाने का प्रयास था जिसमें सफलता मिली और अब कांटा और गोदाम नया बनाया गया और माल सीधे रायपुर में पलटी हो रहा है। गौरतलब है कि माल अनूपपुर जिले से होकर गुजरता है जहां की स्थानी पुलिस की भी कार्यशैली पर सवाल उठने लाजमी है।

बुढ़ार बना कबाड़ का हब, दूसरे माफिया ने संभाली कमान

छुटपुट कबाड़ कारोबारियों के पहिए अब उल्टी दिशा की ओर मुड़ चुके हैं क्यों की  मरता क्या न करता की तर्ज पर छोटे कारोबारी एक ऐसे माफिया को ₹10 प्रति किलो कम रेट पर माल देने को मजबूर है जो तत्काल प्रभाव से किसी भी छोटे कारोबारी के ठीहे पर दबिश दे सकता है। कल तक जो माल शहडोल से जबलपुर बड़े ठीहो में जाया करता था, वह 5 साल पहले पवन धर्म कांटा की तर्ज पर एक बार फिर सोन नदी के किनारे बने नए गोदाम में जाने लगा है। कम शब्दों में कहें तो 5 साल पहले जैसे सिंडिकेट बनाकर कारोबार गुलजार था वैसे ही आप सरगना बनाकर कारोबार गुलजार हो रहा है, बताया जाता है कि उस गोदाम में ऐसे ऐसे अस्त्र शास्त्र है कि महज कुछ ही घंटों में हाईवा और पोकलेन जैसी बड़ी गाड़ियों को भी काट -पीट के मिनी ट्रक, 709 में फिट कर दिया जाता है, जहां जाने की आज तक स्थानीय पुलिस ने हिम्मत नहीं जुटाई।

चोरी के सामान सहित करोड़ों का कबाड़ खपा रहा सरगना

जिले में चल रहे अवैध  कबाड़ कारोबार कि जब हमारी टीम ने जांच पड़ताल शुरू की तो नाम न बताने की शर्त पर कथित कबाड़ माफिया के गुरु और स्थानीय लोगों ने बताया कि कबाड़ के नाम पर बड़े पैमाने में कोल माइंस ,एसईसीएल ,रेलवे, सोडा फैक्ट्री, पेपर मिल एवं शहडोल जिला मुख्यालय के इर्द-गिर्द चल रहे शासकीय ठेको के मशीन,सेंट्रिंग,उपकरण, बिजली के तार, खंबे, चोरी के मोटरसाइकिल चार पहिया वाहन आदि शहडोल जिला मुख्यालय, खैरहा,सिंहपुर, बुढार, अमलाई, धनपुरी, चचाई अनूपपुर जिले के बिजुरी,कोतमा से शहडोल के बुढार स्थित 2 में से किसी एक की है पर लाया जाता है। यदि बड़े वाहन काटने होते हैं तो उसे बकरा स्थिर बड़े गोदाम में लाया जाता है जहां कुछ ही घंटों में वाहन के कलपुर्जे टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाते हैं। फिर प्रतिदिन आधा दर्जन हाईवा से ज्यादा माल शहडोल जिले  से रायपुर के लिए रवाना होता है।

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